पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५३६

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६५७ नान–(११८६) मगजी सेवक है। ग्रन्थ—गीतासेषक भरा। कविताकाल-१८६७ ।। नाम (११८७) मनाएराप्त । अन्ध–(१) जसअनूपयधम्किा , (२) फूलच्चरिन्न । कविताफास–१८६७।। नाम–११८८) मेधा । प्रध–थिनमूपसम ।। कविताकाल-१८६७ ।। विवरण–साधारण । नाम-११८६) रिझवार । प्रध-(१) कविता श्री इज़रा रा, (२) फचित्त श्रीनाथ जी , (३) नाथ चरित्र से हुककत नाम, (४) रिझवार के कचित्त । कविताकाल-६८६७ ।। विवरण-राजपूताना कर कवि । यद्दता ज्ञाधपूर-मरेश महाराजा मानसिंह ।। नाम–११६०) बिंदुवार । अन्य कविता श्री हरन रा। कयितरफाल–१८६७। दिवरण-भूपते के साथ यह प्रन्य बनाया। नाम-११६१) शम्भुनाथ मिश्न, मुरादाबाद, उन्नाव। प्रत्य-राजकुमारमयेध ।