पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५७५

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१८ गिन्नधभुबिने। ( ० १८ समझना ममंश पाटी पर आ इंते । घमचेर' शुरू के समय काट ६ उप दियाए पर दुम्मा देय के सम्मु नृत्य करने से वयि का शत्रु के चिढ़ाने से प्रयाउन ६ । इन युद्ध का कुछ स्याभापिणः अनुभव सा पा । 'शटोरा र भरि गढी पी भार' में सुख कर्ता के ही इन्च अार्य हैं, और इसी मत

    • मुग्छ प यह निर्ण समलै' में एक कार घन फोटो

आँच दियर या ६ । प्र युद्ध की तैयारी में और रस प्रधान नते हैं और समाप्त भभक इनें पर द्र र भयानक इसे का प्यार करने लगते हैं। ये माशय मायके में शील गुरा निने में नाय नहीं हुए ६ । नची के मारे जाने पर इन्हें इमीर देय को सशंकित करा कर उनसे यह सच पहला दिया कि 'द करि मंझो युद्ध यूया' । यद उचित नहीं हुआ, कि पवा प्रकार से उनका हठ छूट गया । सन धार्ने विचार कर हम शैसी के दास पी ने शो में स्पेगे। (१२३६)मैमसन्ना ने १३६ सचैया तथा घनाक्षरियों में श्रीराम या सीताजी का पि नख' यधा है। यह प्रन्या छतरपुर में हैं। इनकी कविता अच्छी है । इम इन्हें तैष कवि फी शो में रमले ६ । इनका कविता-काल जांच से १८८० ज्ञान पड़ा। पलपलता के सिद्धि दायक कर्पत फाम धेनु कामना के पूरन करन हैं। अनि लाई घात कृपा-कटाक्ष कमला की कमला सहाई जाई सेवस सरत्र हैं।