पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५९६

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१६ १६ | पद्माकर का] | वनराजेंडूते प्रकरए । काविद्याल–१८८६ ।। | विघर जपूताना चाले। नाम-११२६६) रतनसिंह, महाराजा चरञ्जरी पटना ! अन्ध-(१) नझनागरविनोद, (२) विनयपत्रिका की टीका । कविताकाल--१८८६ । विवरण–साधारण । नाम-१३००) कृष्णदेव । अन्ध-सपंचाध्यायी । कविताकील-१४७ के पूर्ष। नाम (१३०१) जनदयाल । प्रध-नेमलीला । कविताकाल-६८८ के पूर्वं । नाम-:(१३०२) अमीरदास, भूपाल । अप-(१) सभामडन, (३! दूपरोल्लास । कविताकाल-१८८७ ॥ नाम-(१३०३) गिरिधर भद्द माझगा, मैरिवार पदिालवासी। प्रध–२१) राधानघसिस (१८८६, (२) मुबाला, (३) माद- प्रकाश (१९,३३)। कविताका–१८८७। विवरण साधारण से कुछ अच्छे।