पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/८०

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४५८ freegति। [सं० }}}८ से प्रति देता है कि विधा विचार सम्पूर्ण महाभारत बनाने की पदले में पा, पर मन में अपने उसे पूरा है। कर दिया । महाभारत ६ पतिरिक्त अन्नै मुपपिहास पगल, पटून वरचे मर भरपा प्रतुपरंETर भी घनाये हैं। शिपतिंदनराश में इनका जन्म-बाल-संपत् १७२७ दिया है। जा कपए ही पशु ६, फ्यवि १८ इन महामारत भीम एई घनाद । चदि इस समय इन अर्यसा वय १६ च । मान ली जाय, ते भी निज जन्म १७०२ संघ का ! ! स्या एवं मैचत् ९८१ में घना, जय कि सवलत ए जी पर अवस्था कम से कम ६९ साल रे । अतः इन अम्र ८० था ८५ लि से यार न हुई है और सब है कि मैं १०-१५ वर्ष तर में घीकर गाक्रवाती हुय हैं । यसिंह जी ने लिया है कि माई इन्हें घन्ट्रगढ़ का राज बतलाते हैं पर फाई सबलगढ़ का, ए कुछ लेन पाइते हैं कि इनके घश भाले घजि तक जिला हरदोई में भौजूद ६, ध; श्यय चिपि दुर्जा इनके ज़िला इटाया के किसी ममि कै जिमींदार" बताते हैं । अस्तु, ना कुछ है, सचद्धसिद्द ही स्वय राजा नहीं प्रतीत होते, फ्यवः ये प्रॉपछी दिखने में:- शाद दिलीपति राजत 1 मित्रसेन भूपति व माजत” ।

    • वे चुप के पुरुषप्त मर्दै गए! संबसि चैहान गमाप" 11

अश्रिमसिक पर्छ।