पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/८२

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मिश्रन्धविश्व । [१० ११३ (३६१) रिसदारा की वी शान 8० १२० में शत् । १८ पृष्ठ १ टे साइज़ में ६ । दिप्ती साधारण थे वो है। यह ग्रन्थ में गपूर दरवार में पैने । मिला । ये महाशय टट्टी सम्प्रदाय के थैः गृन्दावनग्रासी थे। उदार- रात नच न ज घरजारी ! दुर स्याम रतीले बैंग अंग नयल वर घर गरी । घदन माधुरी सुन्न सागर घर नागर ईयर किसरी । सरसदार नननि सपापेन बानुक पिट नियारी ॥ (३६३) अनन्य शौल म (सीतापम; गते के मद्दमा अन्नदास के गुरु यश में है। यद् इनके अन्य में लिया है। 'भयन' ने ११० छन्द में वहा है और 'एयाम' में देरी धेर झुला का बर्णन किया है। इन प्रयाय १०० पृष्ठों का है, जिसमें घाण की भवि रामसोना की पन शुभारात्मक है । इनकी कविता धारये थे ण की हैं। आपका समय जाँच से सबन् १८ जान पड़ा । इनके अन्य छत्रपूर ने दें। दाइ । जीवन जग उमंग ई फाग का रंग गुलाल फै। एक मिले। नेरी किसेर किसे मिले सस है। घT ची बरज़ारी ।।