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मिश्रबंधु

मिनबंधु-विनोद सं० १९४८ ग्रंथ-(१) संक्षिप्त रामायण (अमकाशित), (२) स्वप्नादर्श, .(३) राष्ट्रीय शिक्षावली ( सात पुस्तके), (४) हिंदी के ज्ञात ग्रंथों की सूची (अँगरेज़ी में), (५) भारी भ्रम ( The Great Illusion का अनुवाद), (६) विज्ञान की हिंदी-उर्दू रीडरें। विवरण-आप जाति के कायस्थ मुंशी ललिताप्रसादजी के पुत्र हैं । आपने शिक्षा-सेंट्रल हिंदू-कॉलेज, बनारस तथा म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद में प्राप्त की। इन्होंने दस वर्ष की अवस्था ही में संक्षिप्त रामायण-नामक एक काव्य ग्रंथ, जो कि ऊपर दिया हुया है, रचा । यह हिंदी-गद्य तथा पद्य दोनो के लेखक हैं । दर्शन, इति- हास, विज्ञान, साहित्य आदि विषयों में इन्होंने असाधारण ज्ञान प्राप्त किया है । आप एक वाद्दर देश-भक्त तथा स्वतंत्रता-प्रेमी हैं । कायस्थ- पाठशाला, इलाहाबाद के रसायन-विभाग के प्रोझेसर श्राप कई वर्षों तक रहे । हिंदू-विश्वविद्यालय, बनारस से इनका संबंध प्राच्य विभाग में रसायन के प्रोफेसर के नाते बहुत समय तक रहा । अापकी रचना देश-भक्ति लिए हुए सुपाध्य तथा सुंदर होती है । (श्रीयुत रघुवरदयालजी मिश्र बारा ज्ञात)। उदाहरण J वंदे भारतवर्षमुदारम् । पावन आर्य भूमि मनभावन सरसावन सुख-सारम् । हिमगिरि सेत मुकुट सम भ्राजत, सुर प्रसून बरसाचत सरन दीप जिमि कमल चरन पर सागर पाद्य दिवाचत । धमनी सिरा मनहुँ घन सरिता वहत अमिय की धारा तैतिस कोटि बसत सुर बन तरु रोमावली अपारा । गो, गज, बाजि, रतन, अंबर, धन, अन्न अमल जल पूरे , सुखद सघन वन, नगर सनोहर हरित सस्यमय हरे। निज व्यवसाय-निरत सुचरित जन कलह कलुष ते न्यारे , >