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मिश्रबंधु

१६२ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९४६ (१३) जैन-धर्स के विषय में अजैन विद्वानों की सम्मतियाँ, दो भाग। (१४) हनुमान-चरित्र नावेल भूमिका (हिंदी-अनुवाद)। (१५) चतुर्विंशति जिन पंच कल्याणक पाठक (एक प्राचीन सुप्रसिद्ध जैन कवि की कृति का संपादन)। (१६) अनमोल विधि, नं० १-२ । (१७) उपयोगी नियम। (१८)२४ जैन तीर्थंकरों के पंच कल्याणकों की शुद्ध तिथियों का तिथि-क्रम ले नक्षत्रों-सहित शुद्ध तिथि-कोष्ठ । विवरण-आप सूर्य-वंशोभव मीतल गोत्रीय अग्रवाल जैन श्रीयुत लाला देवीदासजी के सुपुत्र हैं । अापकी जन्मभूमि बुलंद शहर है। श्राप एंट्रेस तथा सी०टी० परिक्षा पास कर चुकने पर बाज प्रायः गत ३० वर्ष से अध्यापक के नाते गवर्नमेंट-सर्विस कर रहे हैं। इस समय श्राप गवर्नमेंट-हाईस्कूल, बाराबंकी में असिस्टेंट मास्टर हैं। यह महाशय बड़े साहित्यानुरागी तथा जैन-समाज के एक सुप्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित विद्वान हैं । आप हिंदी, उर्दू, फारसी, अँगरेज़ी श्रादि सापात्रों का अच्छा परिज्ञान रखते हैं । ऊपर दिए हुए ग्रंथों के अतिरिक्त योगसार, प्रश्नोत्तरी स्वामी शंकराचार्य, भोजप्रबंध-नाटक, नीति-दर्पण, भतृहरि-नीतिशतक आदि संस्कृत-ग्रंथों का उर्दू में आपने अनुवाद किया है। उदाहरण- (प्रकीर्ण कविता-संग्रह से) सह दिवस की संपदा अवगुण लावे सात , काम, क्रोध, मद, लोभ, छल तथा बैर अरु वात । पर यदि पर-उपकार में धन खर्चे मन खोल , सप्त गुणन-कर मुक्त. जो, सो नर रन अमोल ।