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मिश्रबंधु

सं० १९५० पूर्व नूतन २०७ उदाहरण अंगभबूत गले मृगछाल सो संकर के शशि मस्तक सोहै; शीश से गंग वहाय महेश सो मज्जन सौं श्रघ को त्रिय खोहै लोक सुगंध उड़े जिहि मात की देह सुधारि सों कष्ट को खोहै। सो प्रथमै निकसी हरि के पद सो जिहि दर्शन से सन मोहै। नाम-( ३५०८ ) साधुशरणप्रसाद, जि० बलिया । जन्म-काल- ० १६०८। समय-सं० १९५० । ग्रंथ----भारत-श्रमण, पाँच भाग, धर्मशास्त्र-संग्रह । विवरण-इन्होंने भारत-भ्रमण-नामक ग्रंथ बड़ा ही प्रशंसनीय बड़े श्रम से बनाया। यह ग्रंथ परिभ्रमण करनेवालों को उपयोगी और सर्वसाधारण को दर्शनीय है। इसमें हरएक स्थान का प्रशंसनीय और यथोचित वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्ष और भी कई ग्रंथ आपने बनाए । सं० १९६६ में भापका स्वर्गवास हो गया। नाम-( ३१०६) सुदर्शनाचार्य, काशो । जन्म-काल-सं० १९२५ । ग्रंथ-(१) भगवद्गीता सतसई; (२) अालवार-चरितामृत, (३) स्त्री-चर्या, (४) नीति-रत्नमाला, (५) विशिष्टात अधि-- करणमाला, (६) अडीतचंद्रिका, (७) संस्कृत-भाषा, (८) श्री- रंगदर्शक शतक, (६) भगवनीता-भाषा-भाष्य, (१०) शास्त्र- दीपिका-काश, (११) अनर्ध नलचरित्र-नादक । नाम--( ३५९०) हरीरामजी त्रिवेदी स्नेह', हटा, दमोह । जन्म-काल-सं० १९३० । कविता-काल-सं० १९५० ग्रंथ--(१) केकई-नाटक, (२) हरदौल-नाटक, (३) स्ट लावनियाँ।