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मिश्रबंधु

सं० १९५४ पूर्व नूतन २२७ नाम-( ३५३३ ) श्यामविहारी मिश्र (रायबहादुर तथा राव राजा)। इनका जन्म सं० १९३० में इटौंजा, जिला लखनऊ में हुआ। इनके पिता पं० बालदत्त मिश्र एक सुकवि थे। बाल्यावस्था में उर्दू पढ़ इन्होंने लखनऊ आकर सं० १९४२ में अँगरेज़ी का पढ़ना प्रारंभ किया। सं० १९५२ में बी० ए० पास करके इन्होंने दूसरे साल एस्. ए. पास कर लिया, और सं० १६१४ से ये डेपुटी-कलेक्टर नियत हो गए। सं० १६६२ में इन्होंने अपनी नौकरी पुलीस में बदलवा- कर डेपुटी सुपरिटेंडेंट का पद पाया, और सं०६७ में महाराज छतरपुर ने इन्हें अपनी रियासत के दीवान होने के निमित्त बुलाया । तव यह पुलीस छोड़कर फिर डेपुटी कलेक्टरी पर चले गए। अनंतर श्राप रजिस्ट्रार कोआपरेटिव-क्रेडिट-सोसायटीज़ तथा कौंसिल ऑफ स्टेट के मेंबर हुए । डेढ़ साल पक्की डेपुटी-कमिश्नरी पर रहे । इन्होंने पद्य- रचना १५ था १६ वर्ष की अवस्था से प्रारंभ कर दी थी, और सं० १९५५ में अपने कनिष्ठ भ्राता शुकदेवविहारी मिश्र के साथ लव-कुश- चरित्र-नामक पथ-ग्रंथ अलीगढ़ में रचा। इसी समय से प्रायः सब छंद और गद्य-लेख साझे ही में बनते रहे । सं० १६५६ में सरस्वती पत्रिका निकली। तभी से गद्य-लेख भी लिखने लगे। पहला गद्य-लेख हम्मीरहठ की समालोचना-विषयक था, जो सरस्वती के प्रथम भाग में छपा । पीछे से स्फुट लेखों के अतिरिक्त, विक्टोरिया अष्टादशी, व्यय, हिंदी-अपील, रूस का इतिहास, भारत का इतिहास (दो भाग) जापान का इतिहास, नेत्रोन्मीलन नाटक, भारत-विनय, सुमनोंजलि, हिंदी-नवरत, मदन-दहन, रघुसंभच, हा काशीप्रकाश, बूंदी-बारीश, वीर-मणि, श्रात्म-शिक्षण, पद्य-पुष्पांजलि, पूर्व भारत नाटक, उत्तर- भारत नाटक, शिवाजी-नाटक आदि ग्रंथ समय-समय पर इन्होंने अपने कनिष्ठ भ्राता के साथ बनाए। इनमें से व्यय, रूस का इतिहास,