पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/२४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२४३
२४३
मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९५६ अन्तियारपूर के कायस्थ कानूनगो वंशी बाबू शिवनंदनसहाय के पुत्र है। अँगरेज़ी बी० ए० पास करके श्राप धारा में वकालत करते हैं। श्रारा-नागरी-प्रचारिणी सभा के संत्री तथा नागरी हितैषिणी पत्रिका के श्राप संपादक रहे हैं । भाषा गद्य और पद्य के अच्छे लेखक हैं। कविता प्रशंसनीय होती है। निम्नलिखित २० ग्रंथ हिंदी में आपके रचित तथा अनुवादित हैं । इनके अतिरिक्त समाचार-पत्रों में आपके लेख तथा कविताएँ प्रायः छपती रहती हैं। इनके ग्रंथों के नास- पद्य-(१) हनुमानलहरी, (२) श्रीव्रजविनोद, (३) सत्य- भामा-मंगल, (४) एक निर्जन द्वीपवासी का विलाप । नाटक-(१) सत्यम् प्रतिमा नोटक, (२) उद्धव-नाटक, (३) बृदा वर (गद्य-पद्य-मिश्रित प्रहसन)। अनुवाद-(3) चंद्रशेखर उपन्यास, (२) कमलाकांत का इजहार प्रहसन । (1) अर्थशास्त्र । समालोचना-चंद्रशेखर उपन्यास की समालोचना । उपन्यास--(१) राजेंद्र मालती, (२) अद्भुत प्रायश्चित्त, (३) सौंदर्योपासक, (४) आदर्श मित्र । जीवन-चरित्र-(१)पं० वलदेवप्रसाद की जीवनी, (२) राय- बहादुर बंकिमचंद्र की जीवनी, (३) विद्यापति ठाकुर की जीवनी, (४) बाबू राधाकृष्ण दास की जीवनी । संपादित-मैथिल कोकिल । आपने भाषा में कई आवश्यकीय विषयों पर रचना की है। आपका कविता-काल सं० १९५६ समझना चाहिए। X x x x समय--संवत् १९५७ नाम-(३५४४) लाला कन्नोमल एम० ए०, साहित्यालंकार ।