पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२८४
२८४
मिश्रबंधु

सं० १९५० पूर्व नूतन २७६ रचना-काल-सं. १९१० । भ्रंथ-(१) स्वर-संबोधिनी, (२) रेखता-रामायण । विवरण-रियासत मैहर में इंस्पेक्टर थे। नाम-( ३६७६ ) पजनसिंह कायस्थ, बुंदेलखंड । रचना-काल-सं० १९५० । ज्रथ-पूजन प्रश्न ज्योतिष [प्र० ० रि० ] । नास-(३६८०) रघुनाथप्रसाद कायस्थ, ऐंचवारा, जिला बाँदा। जन्म-काल--सं० १९२५ । कविता-काल-सं० १९५० । ग्रंथ--(१) रामभक्त-भूषण, (२) रसिक-विलास । नाम -(३६८१) रघुनाथ शाकद्वीपी, ग्राम राघवपुर, जिला पटना। जन्म-काल-सं० १९२५ । मृत्यु-काल-सं० १९६२ । ग्रंथ-(१) सुभाषित भूषणम् काव्यम् । (सूक्लि-विलास २०० श्लोक): (२) उद्धव-चंपू (काव्य), (३ ) आर्याचारादर्श (३५० श्लोकों का चित्रबंध-युक्त काव्य), (४) रसमंजूषा (हिंदी- कविता, सं० १६५७, बिहार-बंधु-प्रेस पटना से मुद्रित । नाम-(३६८२) रणमल । जन्म-काल--सं० १९२५ । ग्रंथ-प्रवीनसागर । विवरण-श्राप राजकोट के निवासी चारण थे । उक्त प्रथ राज- कोट के राजा महिरावनजी ने बनाया था, किंतु वह अपूर्ण रह गया। कहा जाता है कि आपने ही इस ब्रथ को पूर्ण किया है। 1