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मिश्रबंधु

उत्तर नूतन अरिथम्यटिक, (१३) फाइनल अस्थिरपटिक, (१४) हिंदी-पाठ-संग्रह भाग दो, (११) हिंदी-संग्रहावली, (१६) मैमिलन हिंदी रीडर । विवरण- --आप श्रीयुत पंडित काशीदीनजी सुकुल के पुत्र हैं। आपके पूर्वज बैसवाड़े में गंगातट-वर्ती भागू खेड़ा ग्राम के निवासी थे, किंतु अब इनका मुख्य निवास स्थान लखनऊ जिले के अंतर्गत अन- रौली ग्राम है। आप काशी-हिंदू-विश्वविद्यालय में ट्रेनिंग-कॉलेज के प्रिंसिपल (अध्यक्ष) हैं। इन्होंने कुछ काल तक 'कान्यकुब्ज' तथा फौजी अखबार' का संपादन किया है। श्राप उच्च कोटि के गद्य-लेखक हैं। नाम---(३६०३) माणिक्यचंद्र जैन बी० ए०, बी० एल० । यह खंडवा मध्यप्रदेश के वकील थे। आपकी अवस्था प्रायः ३० साल की थी कि श्रापका देहांत हो गया । हिंदी-ग्रंथ-प्रसारिणी मंडली, प्रयाग के मंत्री और बड़े ही उत्साही पुरुष थे । हिंदी के अनेकानेक ग्रंथ खोज-खोजकर प्रकाशित करते थे। हमारा हिंदी. नवरत्न और यह इतिहास आप ही ने बड़े उत्साह पूर्वक हमसे सहल लेकर प्रकाशित किया था। गद्य के एक उत्तम लेखक थे। बड़े ही होनहार पुरुष थे, तथा हिंदी की उन्नति की आपसे बड़ी प्राशा थी, परंतु शोक है, इनका देहांत युवावस्था में ही हो गया। हिंदी के बड़े प्रेमी तथा उत्साही थे। इनकी अकाल मृत्यु से हिंदी की बड़ी हानि हुई। नाम-(३६०४) मुहम्मदवजीरखाँ, ग्राम हिंडोरिया, जिला दमोह। जन्म-काल-सं० १९३२ । रचना-काल-सं० १९६४ । मंथ-(१) वसंत-बहार (अप्रकाशित), (२) सती सुलो- जना (नाटक, अप्रकाशित), (३) सदाचार-दर्पण ( अप्रकाशित), (१) स्फुट कविताएँ।