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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९७६ 3 तुझे सत्पुरुषों ने कर प्यार, दिया निज श्रद्धा का उपहार "तिलक', 'गांधी' से नर-अवतार, तुझी पर तन-मन-धन सब वार । हुए जीते ही जी क़ुर्बान , अमित तेरी महिमा, बलिदान ! नाम-(४२८६) ईश्वरीप्रसाद शर्मा, आरा। जन्म-काल--सं० १६११ । रचना-काल-सं० १९७६ । मृत्यु-काल-सं० १९८४ । अंथ-(१) चंद्रकुमार, (२) हिरणमयी, (३) श्रीरामचरित्र, (४) सीता, ( ५ ) सूर्योदय ( नाटक), (६) रंगीली दुनिया (नाटक), (७) सिपाही-विद्रोह, (८) पंचशर (गद्य-काव्य), (६) उद्भांत प्रेम, (१०) अन्नपूर्णा का मंदिर, (११) इंदुमती, (१२) प्रेम-गंगा, (१३) प्रेमिका, (१४) जल-चिकित्सा, (१५) चना-चबेना (कविता), ( १६ ) सौरभ ( कविता ), (१७) सुशीला-शिक्षा, (१८) सच्ची मैत्री, (१६) बाल-गल्पमाला इत्यादि। विवरण--यह पं० सदल मिश्र के वंशज शाकद्वीपी ब्राह्मण थे । इनके पिता का नाम पं० शाङ्गधर मिश्र था । कुमार देवेंद्रप्रसाद जैन तथा 'सरस्वती' के भूतपूर्व संपादक पं. देवदत्तजी शुक्ल इनके सहपाठियों में से हैं । यह 'मनोरंजन,' 'पाटलि-पुत्र', 'लक्ष्मी', 'श्रीविद्या', 'शिक्षा' और 'धर्माभ्युदय' आदि मासिक पत्र-पत्रिकाओं के समय-समय पर संपादक थे। इनके मौलिक तथा अनुवादित : थों से पता चलता है कि यह एक सिद्धहस्त लेखक थे। अपने जीवन-काल में इन्होंने लगभग 20-80 पुस्तक लिखी । इनकी गद्य-पद्य-मिश्रित 'कचालू' नामक पुस्तक आकस्मिक मृत्यु के कारण प्रकाशित होने से रह गई। .