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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण ११ करस करामति काम कुसंग, तजि भजि राम अनंत अभंग। निसि बासर यह बानि बखान, रामहि राम सुधा-रस पान । नाम-(५६१) राजेंद्र मुनि । रचना-काल-सं० १७६३ । ग्रंथ---(१) राजवल्लभी गीता (छंदोबद्ध, सं० १७५३ ), (२) श्रीकृष्ण-बाल गीता, (३) बुध-बावनी और ( ४ ) ज्ञान- बावनी। विवरण-श्रीयुत भालेरावजी का कथन है कि इनका राजवल्लभी गीता' ग्रंथ अमृतसर के श्रीकृष्ण-मंदिर में प्रस्तुत है, और उस प्रति में रचना-काल सं० १७५३ दिया हुआ है। उदाहरण- टीका सुनत सुजान अस चित मन नित ८ लाय; प्राविद्या भ्रम मिटि गयो, पुरुषोत्तम सुख पाय । राजवल्लभी टीप कहावे, श्रोता-वक्का बहु सुख पाये; भगवद्गीता श्रेष्ठ कहाई, श्रीमन तिरपित अर्जुन ताई। नाम-(६५) उद्धव चिद्घन, उद्धवार्य, महाराष्ट्र प्रांत । थ-संत-चरित्र एवं स्फुट । कविता-काल --सं० १७५५ । विवरण--यह महाराष्ट्र प्रांत के बाद संत-चरित्रकार कहे जाते हैं। इन्होंने ब्रजभाषा में कतिपय संतों के चरित्र लिखे हैं। नाम-(६३°) भगवतीदास, पारा । ग्रंथ-बृहत् विलास।