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मिश्रबंधु

सं०१३ उत्तर नूतन ५६ विवरण-~-स्त्री-कवियों याजकल इनका स्थान अच्छा प्रायः छायावादी कविता करती हैं। होनहार लेखिका है। समय-संवत् १९८५ नाम--(४३६९ ) अनिरुद्धलाल 'कर्मशील', श्राम ताजपुर, जिला दरभंगा। जन्म-काल-लगभग सं० १६६०। रचना-काल-सं० १६५ अंथ- स्फुट रचनाएँ। विवरण-श्राप बाबू मुकुंदसाहु के पुत्र और सुकवि हैं। उदाहरणा- पथिक तुम फिर जाओ निज ग्राम, यहाँ न ठहरो इस उपवन में नहीं सुखद विधाम । नहीं रहा अब वह उपवन का प्यारा सुखद वसंत कर छोड़ा दुदीत काल ने इसकी श्री का अंत । तोते हुए कहीं है पल्लद मसले अनुपम फूल ; टूटी हुई कहीं पर कलियाँ फाँक रही हैं धूल । हरे पालों का हाय हुआ है कैसा करुण विनास ! उजड़े ही हैं कहीं अभागी चिड़ियों के श्रावास। उजड़ा-पुजड़ा दीख रहा है हाय मालती-कुंज ! जिसे प्यार करता था अतिशय शोकित प्रणयी-पुंज । बहता है सब ओर भयानक अत्याचार समीर बंद हुए वे मधुर चहकनेवाले सुंदर कीर । कौन करेगा स्वागत तेरा अहो पथिक अनजान ! लौटो, दुखित हृदय से होगा क्या प्रातिथ्य प्रदान ! ,