पृष्ठ:मुद्राराक्षस.djvu/२२०

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४१६-२०-यदि राजा मंत्री का अपमान करता है, तो उसमें भी मंत्री का दोष है (क्योंकि मंत्री को सम्मति से ही सव कार्य होता है। जिस प्रकार हाथीवान की असावधानी से हाथी दुष्ट होकर अपवादित होता है। - हाथी के पर्यायवाची शब्द नाग, व्यान भी हैं। यहाँ व्यालत्व से अपवाद का भाव है-ज्यालो दुष्टगजा सर्प-इति हैमः । दृष्टांत देने के कारण दृष्टांत अलंकार है । अनुवाद में मंत्री की अवमानना करता है' के स्थान पर 'तत्काल दुष्ट हो जाता है।' ४२४-मल में 'स्वकार्य सिद्धि कामः' अधिक है । ४२९-३०-मूल का अर्थ- गुरु चाणक्य की आज्ञा से हमने उनका अनादर प्रदर्शि . है, तथापि मेरी बुद्धि पृथ्वी के विवर में समा जाने को उद्यत है। जो वस्तुतः गुरुजन की अवमानना करते हैं, उनके हृदयों को लज्जा क्यों नहीं विढीर्ण कर देती।

अनुवाद में भाव आ गया है । दोहे के प्रथम चरण में काव्यजिंग

अलंकार है। - चतुर्थ अंक १-करभक-करिशावक, हाथी का बच्चा । यहाँ एक दूत का नाम है। " राक्षस और दूत के संवाद रूप में अल्प.. कथा प्रकरी- पूर्ण की .२.३-स्वामी की पूर्ण आज्ञा बिना ऐसा कौन है, जो अत्यंत दुर्गम स्थान में सैकड़ों कोस दूर दौड़ कर जायगा .. - मूल में गमनागमन अर्थात् जाना पाना दोनों है। कारणोत्पादन से काव्यलिंग अलंकार हुमा। १५-१६-मल श्लोक का अर्थ इस प्रकार है-