पृष्ठ:मुद्राराक्षस नाटक.djvu/१३०

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पन्चम अङ्क ११५ -- प्रियम्यदक-अमात्य की जो आज्ञा (जाता है) (प्रतिहारी अाता है) प्रतिहारी-अमात्य की जय हो। कुमार अमात्य को देखना चाहते है। राक्षस-भद्र ? क्षण भर ठहरो। बाहर कौन है। बाते जिनका पता इस देश की पुस्तको से नहीं लगता विदेशी पुस्तके उनको सहज मे बतला देती हैं। इस हेतु यहाँ तीन अङ्गरेजी पुस्तकों से थोडा सा अनुवाद करते हैं-(1) Alexander the Great and his successors, (2) History of Greece (3) Plutarch's lives of illustri- ous men V. II. "सिकन्दर के सिपाही लोग केवल ऋतु और थकावट ही से नहीं डरे किन्तु उन्होने यह भी सुना कि गंगा छ सौ फुट गहरी और चार मील चौडी है | Ganderites और Pra1818ns के राजागण अस्सी हजार सवार, दो लाख सिपाही, छः हजार हाथ और आठ हजार रथ सजे हुए सिकन्दर से लडने को तैयार हैं। इतनी सना मगध देश में एकत्र होना कुछ आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि ऐन्दाकुतस (चन्द्रगुप्त ) ने सिल्यूकस को एक ही बेर पाँच सौ हाथी दिये थे और एक वेर छः लाख सेना लेकर सारा हिन्दुस्तान जीता था।" यह गन्दरिटस गान्धार और प्रेसिअन फारस प्रान्त के किसी देश का नाम होगा। हम को इन पांच राजानो में कुलूत और मलय इन दो देशों की विशेष चिन्ता है, इसी हेत इन देशों का विशेष अवेपण करके भाग लिखते हैं-एक बेर सिकन्दर ( Malll) माल्लि वा मल्लि नामक भारत के विख्यात लडने वाली जाति से जब वह उनको जीतने को गया था मरते मरते बचा । जब सिकन्दर ने उन उन लोगों का दुर्ग घेर लिया और दीवार पर के लोगो को अपने शस्त्र से मार डाला तो साहस करके अकेला दीवार पर चढ़ कर भीतर कूद पड़ा और वहाँ