पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/३१

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मेघदूत।

लावण्यवती ललनाओं के पैरों में लगे हार महावर के चिह्नों से चिह्नित भी रहती हैं। ऐसे सुन्दर और सुगन्धित महलों के ऊपर कुछ देर तू विश्राम कर लेना। इससे तेरे शरीर की सारी थकावट और मन की सारी खिन्नता दूर हो जायगी।

महलों पर थोड़ी देर सुस्ता कर तू त्रिभुवन के गुरु भगवान् भूतनाथ के पवित्र मन्दिर के अहाते में जाना। जो रङ्ग तेरा है वही श्रीकण्ठ के कण्ठ का भी है। रङ्ग की इस ममता के कारण महादेवजी के गण तेरा बड़ा आदर करेंगे। यह मन्दिर एक मनोहर उद्यान में है। पासही गन्धवती नामक नदी है। शरीर में सुगन्धित उबटन लगाकर स्त्रियाँ उसमें जल बिहार करती हैं। इस कारण नदी का जल सुगन्धित हो जाता है। इस नदी में कमल भी बहुत खिलतें हैं। उनकं पराग-कण और जल की सुगन्धि अपने साथ लाकर पवन पूर्वोक्त उद्यान के वृक्षों को हिलाया करता है। अतएव इस बात का तू स्वयं ही अच्छी तरह अनुमान कर सकेगा कि मन्दिर के आस पास का प्राकृतिक दृश्य कितना सुहावना होगा।

एक बात की सूचना मैं यहां पर दे देना चाहता है। वह बहुत ज़रूरी है। बात यह है कि यदि तू सायङ्काल होने के पहले ही महाकाल के मन्दिर में पहुँचे तो सूर्यास्त होने तक वहाँ ज़रूर ठहर रहना। क्योंकि सायङ्काल वहाँ शिवजी की पूजा बड़े ठाठ से होती है। पूजन के समय शिवजी को प्रसन्न करने का तुझे अच्छा अवसर मिलेगा। पूजन आरम्भ होते ही तू मन्द मन्द गरजन लगना । तेरी वह गरज दुन्दुभी या नक्कारे का काम देगी।