पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/४५

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लका अनेक बातों में तेरी समता करेगों । तुझमें कुछ ऐसी विशेषनायें हैं जो अलका के महलों में भी हैं : देख मै बताता हूँ। तुझमे बिजली है; अलका के महलों में भी विद्युल्लता सी ललित ललनायें हैं। तर माथ इन्द्रधनुष है; उसके महलों में भी नाना रङ्गों से रञ्जित विचित्र चित्रावली है। न मीटा-मीठा गम्भीर घोर किया करता है; उमकं महलों में भी मङ्गीत-सम्बन्धी मृदङ्ग बजा करते हैं । तेरे भीतर जल हैं: उसके महलों के फ़र्शी और आगनों में भी मणिया जड़ी हुई है। नू ऊँचा है; उसके महल भी अभ्रंकश बादलों को छूनवाले हैं : इसी से मैं कहता हूँ कि अनेक बातों में वह तरी बराबरी करेगी।

अलका में एक और भी बहुत दड़ी विशेषता है। वहां हर ऋतु के फूल हर समय प्राप्त होते है। वहाँ की खियाँ हाथ में नीला-कमल लिये रहती हैं; अलकों में कुन्द की कलिया खास रहती हैं;आननों में लोध के फूलों के पीलं पीले पराग का लेप लगायें रहती हैं; चोटियों में नवीन कुरबा गूंधे रहती हैं: कानों में सिरस के फुल रक्खे रहती है; और. मागों में,तेरी बदौलव प्राप्त होनेवाले, वर्षा-ऋतु में उत्पन्न,कदम्ध-कुसुम धारण किये रहती हैं। क्यों, हो गयं न सभी ऋतुओं के फूल ?