कराते हुए कहा-हे छली!मैंने स्वप्न में तुझे किसी स्त्री का हाथ
पकड़ते देखा था।
'यह रहस्य की बात है। इस मेरे सिवा और कोई नहीं जानता ! इसे मैं इसलिए कहता हूँ, जिससे तुझे विश्वास हो जाय कि मैं सकुशल हूँ और यह सन्देश मेरा ही भेजा हुआ है। त पड़ोसियों और पुरवासियों को चर्चा पर ध्यान न दना । लोग यदि कहें कि जीता होता तो अवश्य आता अथवा चिट्टी हो भेजता तो उनकी बात पर विश्वास न करना ! विद्वानों का कहना है कि वियोग में पारम्परिक प्रेम कुछ कम होजाता है-अपना नही पाम न रहने पर स्नेह कुछ घट जाता है-परन्तु प्रेमपात्र के दर्शनों से वह पहले से भी अधिक बढ़ जाता है। वियोग के कारण मिलाप की उत्कण्ठा अधिक हो जाती है और प्रेमी अनेक प्रकार की कामनायें करता हुआ वड़े चाव से अपने प्रेमपात्र की प्रतीक्षा करता है।
बस यही मेरा मन्देश हैं! इसको मेरी प्रियतमा तक पहुंचा
देना-मुझे अपना बन्धु समझकर मेरा यह काम कर देना । तूने
यह प्रार्थना स्वीकार कर ली या नहीं, यह मुझे अव तक ज्ञात ही
न हुआ। क्योंकि तू कुछ बोला नहीं। परन्तु मेरी समझ में तेरी
चुप का यह अर्थ नहीं कि तुझे इससे इनकार हैं। चातक तुझसे
सदाही जलदान की याचना करते हैं । तू उनकी इच्छापूर्ति तो कर
देता है, पर बोलता नहीं । विना गरजे ही-विना बोले ही-तू उनका
काम करता है । सज्जनां की यही रीति है । वे उत्तर दिये बिना ही
अपने प्रेमी-अपने भक्त-याचकों की प्रार्थना सफल कर देते हैं।
अमीष्ट कार्य की पूर्वि को हो वे उत्तर समझते हैं