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पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/११६

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मेरी आत्मकहानी
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महाराज काशिराज के यहाँ एक अत्यत सुंदर सचित्र रामायण है जिसके चित्रों के बनवाने में एक लाख साठ हजार रुपया खर्च हुआ था। सभा के सभासद् रेवरेंड ई० ग्रीव्स और काशी के कमिश्नर मिस्टर पोर्टर के उद्योग और सहायता से इन चित्रों में से कुछ के फोटो लेने की सभा को आज्ञा मिली। सब चित्र पाँच सौ से ऊपर थे जिनमे से ८८ चित्रों के फोटो लिए गए। इनमे से चुने चुने चित्रो के ब्लाक इस पहले संस्करण में दिए गए। इस ग्रंथ का दूसरा संस्करण सन् १९१५ मे प्रकाशित हुआ। फिर सन् १९१८ मे मेरी टीकां के साथ तीसरा संस्करण निकला। इस संकरण की कई आवृत्तियां छपी। अब सन् १९३९ में इसकी त्रुटियो का सुधार कर तथा टीका को पूर्णतया दुहराकर और उसकी अशुद्धियो को दूर कर इसका नया संस्करण छप रहा है★। रामायण के इन संस्करणों का बड़ा मान हुआ। इस अंतिम संस्करण के साथ तुलसीदास जी की जीवनी भी विस्तार से लिखी गई है। इसका मूलाधार बाबा वेणीमाधवदास-लिखित मूल गोसाईंचरित्र है। इस चरित्र में तेरह स्थानों पर संवत् दिए हैं जो इस प्रकार हैं-

(१) जन्म–

पंद्रह सौ चौवन विषै, कालिंदी के तीर।
श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धरेउ शरीर।


★यह अब प्रकाशित हो गया।