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पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/२३५

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(दिनापा भीर माहिल्य-गागा मंYA FAN नरोन Ham में प्राका हुमागम प्रथम ममगन far डिसी में या मुंगामा। म मुंदना नाममा मामा माउन्टे गिनि प्रान निशानियों व शानिमा मुगीतमा (७) परहस्य - मन में मैन भामांप नापार पर एक श्रग लेबनानगंगारिणी पनिामे पाया माइनरोगी सामग्री भी एम toमरे रिपाधि विमान सेम: थी। पर पूरा नगन लिया जामरा। अत में पानीपग्दा यावाद ने या प्रस्ताव दिया कि मित्र माममा में जन्मेंदू और पना परामर्श देतामो बम विपर को पुनारूप में प्रस्तुत पर मा ही हुआ और मन् १९३१ ने या प्रशाशन हुआ। इसके स्थल मे मुझे बहुत पठिनाई पड़ी थी। प्रामन रोया गडे में मैं ऐसा उलझ गया कि उनसे निपटग पनि गया। कई संस्कृतन पंडितों से मैने परामर्श दिया. पर फोमो मेरा सतापनस समा। कई दिनों चक्र माथा-पनी करता रहा, वर जार में निर्णय पर पहुँचा. जिसमा उल्लेस पुस्तक में इस प्रकार दिया गया. दशरूपक में भारती सृत्ति का यह लक्षण लिया है-