कार्रवाइयाँ लिखी जाती हैं और जो सरकारी दफ्तरों में रक्षित रहते हैं। तीसरे प्रकार के कागज अर्थात् वे कार्रवाइयाँ जो सरकारी दफ्तरों मे रक्षित रहती हैं, और पहले दो प्रकार के कागजो से कुछ भिन्न हैं। निस्संदेह प्रजा का संबंध उन अक् से है जिनमे वे कार्रवाइयाँ लिखी जाती हैं, क्योंकि उनको ऐसी कार्रवाइयो की नकल लेनी पड़ती है जो बहुधा स्वत्व और दावों के प्रमाण होते है, परंतु इनका काम वकीलो की सम्मति के साथ विशेष अवसरो पर पड़ता है। प्रतिदिन के कार्यों के अंतर्गत वे नहीं आते। इसलिए इन कागजो के विषय मे निश्चय करना उतना आवश्यक नहीं है जितना दूसरे दो प्रकार के कागजो के विषय मे है। इस अवसर पर इस बात पर मैं अपनी सम्मति् नहीं प्रकाशित करूँगा कि किन अक्षरों में इन कागजो को लिखा जाना चाहिए किंतु मैं यह कह देता हूँ कि मुझे इन कागजो को लिखने के लिए रोमन-अक्षरो के व्यवहार के विरोध करने के लिये कोई उचित कारण नहीं देख पड़ता। दूसरे दो कागजों के विषय में मेरा यह विचार है कि यह उचित नहीं है कि ऐसा पुरुप जो नागरी लिख सकता हो गवर्नमेंट के पास भेजने के लिये अपने आवेदन-पन्न या मेमोरियल को फारसी-अक्षरो मे लिखवाने का कष्ट सहन करे। यह भी अनुचित जान पड़ता है कि एक ऐसी सरकारी आज्ञा जो ऐसे गाँवों के लिये निकाली जाय जहाँ के रहनेवाले हिंदी बोलते हो, फारसी-अक्षरो मे लिखी हो, जिसे उस गाँव में कोई भी न पढ़ सके। ऐसे प्रबंध का करना असंभव न होना चाहिए जिसमे हिंदी या उर्दू बोलनेवालो में से
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