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पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/४५

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३८ मेगात्मपहानी सवा अपने आवेदन पत्रों का गानट तक पहुंचाने में मर गान- मेटरी इन्याओं को जानने में मुभाना ही धीर स्मिी प्रमका कट या व्यय न सान सग्ना परं । म प्रार के प्रक्ष में (यति हो सके तो) यपि वे नर पनि प्रान नगी जिन पर नाप लागी का नया इम ममाग्यिल के दम मामांगमध्यनयापि उनसे कुछ बातें प्रात रोगी और गानमष्ट का प्रतापनग निश्चित करने का उपाय सागने का समय मिलंगान यान से समझ लेना चाहिए कि वर्षों में जो गवाना पागाई वह एक दिन में नीट माना। मैं ममता, कि यागार अकवर के पाल भारतवर्ष के उम भाग में मर गजर नया पास कामा में हिंदी भाषा और नागरी-अन्न गन्यतार था।" 'न मे श्रीमान् ने अम्बर के समय में पानी के प्रचार राउन करके (यद्यपि यह मार्च अधिकांश लोगों के मुभीते का पान सके नहीं पिया गया था।) कहा-"हम लोगो का जो पुत्र करना । यह पूरी जांच और विचार करके ही करना चाहिए।" इम मेमोरियल के साथ में लगमग र हताना १६ निस्टो मे बाँध कर दिये गये थे जिन्हें मभा के प्लेंटा ने मिर्जापुर, गाजीपुर, घलिया. गोरखपुर, गोडा बहराइच पत्ती. फैजाबाद. लखनऊ कानपुर, बिजनौर. इटावा मेरठ, नहारनपुर. मुजफ्फरनगर. झांसी, ललितपुर, जालौन, काशी. इलाहाबाद आदि नगरो मे चूम घूम कर प्राप्त किया था। यहाँ पर मैने सर ऐंटोनी के उत्तर का अधिकांश भाग धृत