४२ मेरी बालनहानी घड़ी सफल हुई। जिस उद्देश्य से हम लोग गए थे वह पूरा हुधा। इन म्यान पर मै पहित न्दाग्नाव पान की सेवाओं का संप में उल्लेख करना चाहता हूँ। ये हिंदी के बड़े पुराने भक्तो और सेवकों ने थे। उन्होंने नमा के पुलकालय ग कार्य अनेक वर्षों तक बड़ी लगन के माय ग्गि था। सच्चे इय से मना की शुम कामना करते थे। नागरी के प्रांगेशन के ननर इन्होंने अनेक नगरों में घूमन मेनोरिल सम्बन में सर्वसाधारण जनता के हत्वावर प्राम किए थे और उस कार्य में इन्हें पुलिस की हिरासत में भी रहना पड़ा था। भान जी का परिचय बहुत-से हिंदी-लेखकों से था। यदि वे अपने संस्मरण लिख जाने तो वे बड़े ननोरंजक होते। यह ढिीलन दो वपों तक चलता रहा। अंत ने गवनमट ने यह निश्चय क्यिा मि(१) सब मनुष्य प्रार्थनापत्रादि अपनी इन्छा के अनुसार नागरी ग फारती-अन्त में लगते हैं. (२) नव ननन, सूचना-पत्र और खून प्रकार के पत्रादि जो नरमार्ग न्यायालयों या प्रवान मचारियों की ओर से देश-भाषा में प्रचारित किए जाते हैं फारसी और नागरी-अरी में जारी होंगे और इन पत्रों में उत भाग की लानापूरी मी नागरी में उतनी ही होगी जितनी हारसी-मजरो में जाय और (B) ग्ने मुकरों को हांडार सहाँ मेल गरेकी में कान होता है कोई मनुष्य इस मामा के पीह न नियुक्त किया सायगा यदि वह हिंदी और उर्दू दोनों न जानना होगा और जो इस ममय के बीच में नियुक्त किया जायगा और इन दोनों मापात्रों में
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