पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/७१

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मेरी भात्मकहानी संस्कृत हस्ती अपभ्रंश हाथी घी मुख वधू बहू कर्ण कान प्राम गांव वीर वीर हाय दुधि दही बधिर बहिरा श्रद्ध आधा मयूर मोर मिष्ठ मोठा इत्यादि। (५) कविता में अपभ्रंश शब्द लिखने चाहिएँ या शुद्ध १ जैसे-यश-जस, यशोदा जसोदा, यमुना-जमुना, कारण- कारन, कुशल-कुसल इत्यादि । गद्य मे ऐसे शब्दों को कैसे लिखना चाहिए १ (६) एक ही अर्यवाची शब्दों के मिन्न-भिन्न रूप को किन स्थानो मे किस रूप मे लिखना चाहिए अर्थात् कहाँ 'और' लिखना चाहिए कहा 'औ', कहाँ 'नहीं', कहाँ 'न' इत्यादि । -