पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/७२

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मेरी भालकहानी (७) नीचे लिखे तथा ऐसे ही दूसरे शब्दों के लिखने की कौन- सी रीति उचित है तथा बिंदु और चंद्रविदु के प्रयोग का क्या नियम होना चाहिए और 'म', 'न' आदि सानुनासिक अनरो पर बिंदु लगाना चाहिए या नहीं। अङ्ग-अंग, ख-रंग, अजन-अजन, सम्भव-संभव, परन्तु-परतु, सकते-सक्ते, उसने-उस्ने, सभी सबही, कमी- कवडी-कधी, आपने ही-आप हो ने, देखें-देखे, सोचे-सोचें, पाई-पाये, श्रावे आएं, होवै-होग, कोषाध्यक्ष-कोशाध्यक्ष, उन्होंने उनने, इन्होने-इनने इत्यादि (८) अंगरेजी के A, E और 0 तथा फारसी के जाल (०), औ(,) आदि विदेशी भाषाओ के जिन जिन अक्षरो के लिखने के कोई चिह अब तक प्रचलित नहीं हैं उनके लिये कैसे चिह्नवनने चाहिए तथा अंगरेजी के विरामचिहो का भापा में व्यवहार होना चाहिए या नहीं? इन प्रश्नों का उत्तर आ जाने पर उन पर विचार किया गया तथा मुझे प्रामा हुई कि इन्हें लेकर मैं समा के विचारार्थ एक रिपोर्ट लिखू। यह रिपोर्ट यथासमय लिखी गई और २४ नवंवर १८९९ को सभा की सेवा में उपस्थित की गई। इस समय मापा के संबंध में जो आंदोलन मच रहा है उससे इस रिपोर्ट मे दी हुई सम्मति से सबध है। अतएव मैं यहाँ उसका अधिकांश उधृत करता हैं। इस रिपोर्ट की प्रतियों अप्राप्त है। इसलिये उसकी मुख्य मुख्य बातों का उल्लेख हो जाना आवश्यक भी है। ऊपर जो प्रश्नावली दी गई है फा०५