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मेरी आत्मकहानी
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इस देश को अपने अधीन किया। यद्यपि बीच बीच में अन्य जातियों ने भी इस देश के किसी किसी अंश पर राज्य किया, पर विशेष कर इन्हीं तीन मुख्य जातियों के अधीन यह देश रहा। इससे यह बहुत संभव है कि उन अन्य जातियों के अतिरिक्त जो इस देश की सीमा में थी अथवा जिनसे और किसी प्रकार से इस देश से सबंध हो गया है, मुसलमान और अँगरेज जाति का प्रभाव इस देश के प्राचीन निवासी हिंदुओं पर, उनकी भाषा और उनके रहन-सहन तथा विचारों पर अधिक पड़ा हो। आजकल जो अवस्था भारतवर्ष की है उस पर ध्यान देने से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि वास्तव में यह बात ऐसी ही है। हमारा संबंध विशेष कर भाषा से है। अतएव, अपने प्रयोजन के लिये इतना ही देख लेना उचित होगा कि किस प्रकार से दूसरी भाषाओं के शब्द हमारी भाषा में मिल गए। यह बात सर्वसम्मत है कि यहाँ की प्राचीन भाषा सस्कृत है जो जगत् के परिवर्तनशील गुण के अनुसार विगड़ कर आधुनिक हिंदी हो गई। यह भाषा अज दिन भारतवर्ष के उत्तर-खंड मे बोली और लिखी जाती है। उस पर ध्यान देने से यह देख पड़ेगा कि इसमे युरोपीय भाषाओं के बहुत-से शब्द मिले हैं, जिनका अब हिदी के अच्छे अच्छे लेखक प्रयोग करते हैं और जो अब हिंदी के शब्द माने जाते हैं, जैसे फीता, पादरी, गिर्जा, पिस्तौल, कप्तान, थेटर, गोदाम, टेबुल, बेंच, वक्स, रेल, लालटेन, लंप, स्कूल, स्टेशन, हस्पताल, आदि शब्द अब इस प्रकार से हिंदी में मिल गए हैं कि सब लोग उन्हें भली-भाँति समझते हैं। अब यदि