पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/१६०

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सवाव तनक्कू 'जल्दी नहीं है सरकार, रहन पर लाया हूं यों ही नहीं, जब हाथ खुला होगा, दे देंगे। 'रहन क्या रखा ? "एक अदद था।' 'क्या अदद, बताओ। 'अम तो धांधली करते हैं, आपको मतलब ?' 'तुम्हें मेरी कसम नवाव ।' 'प्रोफ' 'कहो-कहो।' 'अम्मी का लंहगा था।' राजा साहब निश्चल पड़ गए। उनकी आंखों की दोनों क्रोर से आंसू वह रहे थे, और उनका कापता हुआ हाथ नवाब के हाथ में था।