पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/१७९

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टार्च लाइट यह कहानी चरित्र दौर्बल्य और कुत्ता का एक अच्छा विश्लेषण है । दुर्भाग्य' एक अपरिसीम और अपर्याप्त वस्तु है। वह मनुष्य के जीवन का बहीखाता है। उस बहीखाते में के जीवन के पुण्य ही नहीं, चरित्र-दौर्बल्य और कुत्ता का एवं मानसिक कलुष का भी लेखा-जोखा आना-पाई तक हिसाब करके ठीक-ठीक लिखा जाता रहता है। लोग कहते तो यह हैं कि यह दुर्भाग्य मनुष्य पर लादा गया बोझा है परन्तु सच पूछा जाए तो यह मनुष्य की पाप- कमाई की पूजी ही है। पाप के विषय में भी एक बात कहूं, लोग पाप की गठरी को बहुत भारी बताते हैं । मेरी राय इससे बिलकुल ही दूसरी है। वह न तो उतनी भारी ही है जिसे लादने को कुली या छकड़ागाड़ी की आवश्यकता है, न वह --जैसा कि लोग कहते हैं-ऐसी ही है कि जो केवल मरने के बाद परलोक में ही खोली जाएगी, मरने तक उसे मनुष्य लादे फिरेगा। वह तो शरीर में हाथ- पैरो के बोझ के समान है जिसे आदमी बड़े चाव से लादे फिरता है और कभी भी उकताता नहीं है । वह चाहे जब उसकी एक चुटकी का स्वाद ले लेता है और उसके तीखे और कड़वे स्वाद पर उसी तरह लट्टू है जैसे वह अन्य नशे- पानी की चीजों के कुस्वाद पर । नशे-पानी की चीजों से पाप में केवल इतना ही अन्तर है कि नशे-पानी की चीजें महंगे मोल बिकती हैं परन्तु पाप मनुष्य के जीवन के चारों ओर बिखरा पड़ा है और उसे जितना वह चाहे बटोरकर अपने कन्धों पर लाद लेने से रोकने के लिए कोई मनाही नहीं है। उसपर कोई चौकीदार- जमादार-सिपाही पहरा नहीं दे रहा है। वह हवा-पानी से भी अधिक सस्ता और सुलभ है। इसीसे मानव स्वच्छन्द भाव से युग-युग से उसके सेवन का अभ्यासी रहा है। परन्तु अभी यह चर्चा यहीं तक रहे, फिलहाल आप हमारी कहानी सुनिए। एक दिन सन्ध्या समय अकस्मात् ही विनय की उससे भेंट हो गई। विनय

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