पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/२७१

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मुहब्बत भी क्षण वेहोशी की हालत में मृत्यु हो सकती थी। काशी की पण्डित-मण्डली शिव मन्दिर में तवार्णव के सम्पुट से मृत्युंजय मन्त्र का पाठ कर रही थी। देश- देश के ज्योतिषी क्षण-क्षण पर क्रूर ग्रहों की गतिविधि देख रहे थे। गतिविधि ठीक-ठीक नहीं देखी जा सकी थी तो केवल डाक्टर और मुहब्बत की, जो इस निर्मम हत्या, विश्वासघात और उनके प्रधान अभियुक्त थे। डाक्टर हताश हुए तो एक दिन पश्चात् कुंवर साहब ने मेरा ध्यान किया। जरा सी ही बात पर राजा साहब मुझे बुला भेजते थे। अब इतना बड़ा काण्ड हो गया और मुझे नहीं बुलाया गया। कुवर साहब के प्रस्ताव का डाक्टर और मुहब्बत दोनों ने ही विरोध किया । डाक्टर ने कहा-इतने बड़े चिकित्सक हार बैठे, वे श्राकर अब क्या करेगे ? कुंवर साहब ने कहा-मानो कुछ न करेंगे। होनहार होकर रहेगा। पर अपने मित्र को देख तो लेंगे। मुझे सूचना भेज दी गई। आकर देखा, अभागा राजा बिछौने पर असहायावस्था में पड़ा है। आंखें आधी बन्द । आक्सीजन गैस से श्वास लेता हुआ दोनों हाथो की उंगलियां जैसे किसी सूत के धागे को लपेट रही थीं ! अांखों का रंग लाल अंगारा, टेम्प्रेचर बिल्कुल नहीं, गुर्दो का काम बन्द, दिल की धड़कन किसी भी क्षण धोखा देने वाली। सब कुछ देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। और जब मैंने सुना कि पूरे ग्यारह दिन से ऐसा है तव तो मेरा मन संदेह और प्राशंकाओं से भर गया । हर दूसरे घण्टे पर डाक्टर रोगी को सम्हाल रहे थे । मेरी श्रवाई सुनते ही वे दौड़े पाए और शुरू से आखीर तक रोग का इतिहास सुनाने लगे। एक-दो सम्बन्धी राजा उपस्थित थे। बहुएं, पुत्र, परिजन सभी थे । डाक्टर रोग-विवरण सुना रहा था। बीच-बीच में अनावश्यक हास्य उनके होंठों पर आ जाता था। मेरा संदेह निश्चय में बदल रहा था। वीच में रोककर मैंने पूछा-ठहरिए, टेम्प्रेटर चार्ट कहाँ है, देखू ? डाक्टर का मुंह सूख गया। उसने कहा--टेम्प्रेचर-चार्ट तो हमने बनाया ही नहीं। "क्यों ?' मैंने खूब कड़ाई से प्रश्न किया। डाक्टर ने हकलाते हुए कहा-टेम्प्रेचर राइज ही नहीं हुआ। 'तो बिना ही टेम्प्रेचर के ये सिसीरियम के सांघातिक भासार उत्पन्न है