पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/२७३

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A मुहब्बत 'पर अब तो उन्होंने सब कुछ बता दिया है।' उनका मतलब मुहब्बत से था। 'सब कुछ ?' 'जी, डाके का हाल पाप सुन चुके होंगे ?' 'नहीं तो, डाका कैसा ? इसपर नये राजा ने सारा विवरण बताया। मुहब्बत ने राई-रत्तो सब बता दिया था। मैने कहा-अापने मामला पुलिस में नहीं दिया ? 'कैसे दे सकता था, वे वेश्या अवश्य हैं पर मेरे पिता ने उन्हें मेरी माता के स्थान पर रखा था। उनके विरुद्ध कुछ भी करना मेरे लिए अशक्य था। यह मेरे खानदान की प्रतिष्ठा और मर्यादा का प्रश्न था ।' 'किन्तु १० लाख का डाका और राजपुरुष की जान'-मैंने धीरे से कहा । युवक राजा ने आंखों की कोर से आंसू पोंछा। बहुत देर हम चुप बैठे रहे। फिर मैने कहा-रुपया मिलने की कुछ उम्मीद है ? 'नहीं।' 'सव क्या डाक्टर लूट ले गया ? मुहब्बत को कुछ नहीं दिया ? 'नहीं।' 2 . 'डाक्टर कहां है ? 'छुट्टी ली है, शायद तवादला भी करा रहा है ।' और मुहब्बत ?' 'वे यहीं हैं।' 'क्या मिल सकता हूं? नए राजा ने देखकर कहा-क्षमा कीजिए। वे बाहर नहीं आती हैं। महल में हैं। युवक राजा की शालीनता अद्भुत थी। मैंने कहा--राजा मर गया, आप चिरंजीव रहें। और मैं उठकर चला आया।