पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/८३

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मुगल कहानिया 50 वह सिर्फ गवैया है ? 'नहीं हुजूर, वह एक नामी शायर भी है, और उसकी कविता की भी वैसी ही धूम है, जैसी उसके गाने की ।' 'क्या वह बुखारे का बाशिंदा है ?' 'नहीं हुजूर, वह कश्मीर का रहने वाला है। वह एक कमसिन खूबसूरत और निहायत बाअदब नौजवान है।' शाहजादी ने एक बार दारोगा की तरफ देखा, और पूछा-क्या कह सकते हो कि शाहजादे के साथ उसके किस प्रकार के ताल्लुकात हैं ? 'जी हां, तहकीकात से मालूम हुआ कि हजरत शाहजादे के साथ इस नौजवान के विलकुल दोस्ताना ताल्लुकात हैं।' 'क्या शाहजादे ने कुछ ताकीद भी लिख भेजी है ?' 'जी हां हुजूर, उन्होंने लिखा है कि मैं अपने जिगरी दोस्त इब्राहीम को शाहजादी का इस्तकबाल करने और उन्हें गाने तथा कविता से खुश करने को भेजता हूं! शाहजादी को उनसे पर्दा करने की जरूरत नहीं।' शाहजादी नीची नजर करके मुस्कराई, और धीमे स्वर से कहा- बहुत खूब, शाहजादे के दोस्त का हर तरह आराम से रहने का इन्तजाम कर दो। इतना कहकर वह जल्दी से ख्वाबगाह में चली गई, और ख्वाजा सरा कौनिश करके वाहर आया । - कहीं बदली छा रही थी। कश्मीर की घाटियों में लाला रुग्द की छावनी पडी थी। चारों तरफ सुहावने दृश्य थे। दूर पर्वतश्रेणियां शोभा बखेर रही थी। चांदनी छिटकी थी, और वह बदली में छन-छनकर धरती पर बिखर रही थी। लाला रुख ने सुना कोई वीणा के मधुर झंकार के साथ वीणा-विनिदित स्वर में मस्ताना गीत गा रहा है। उस प्रशांत रात्रि में उस सुमधुर गायन और उसके प्रेमभावनापूर्ण शब्दों से लाला रुख प्रभावित हो गई। उसने प्रधान दासी को बुलाकर कहा--कौन गा रहा है ? 'वही कश्मीरी कवि है।' 'बड़ा प्यारा गीत है ? 'और वह गायक उससे भी ज्यादा प्यारा है।'