पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/८७

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८६ मुगल कहानियां संभाल... दस-बीस चाबुक खाकर युवक वहीं तड़पकर गिर गया। उसके नाक और मुंह से खून का फवारा वह चला । अफसर ने और एक आदमी को कन्धा लगाने का हुक्म दिया । क्षण भर में पालकी फिर अपनी राह लगी। चिराग जल चुके थे। दीवाने खान में हजारा फानूस की तमाम काफूरी मोमबत्तियां जल रही थीं। जमुना की लहरों से धुलकर पूर्वी हवा झरोखों ने छन-छनकर पा रही थी। खास-खास दरबारी बादशाह सलामत के तशरीफ लाने की इन्तजारी में अदव से खड़े थे । सामने एक चौकी पर वही युवक लहू- लुहान पड़ा था । अन्तःपुर के झरोखों से परिचारिकामो के कण्ठ-स्वर ने कहा- होशियार, अदव कायदा निगहदार ! यह शब्द-स्वर चोबदारो ने दोहराया | होशियार, अदव कायदा निगहदार ! उमरावमण्डल और मन्त्रिमण्डल जमीन तक सिर झुकाकर खड़ा हो गया । सम्पूर्ण दरबार में निस्तब्धता छा गई। धीरे- धीरे वृद्ध सम्राट् वहादुरशाह दो सुन्दरियों के कन्धों का सहारा लिए भोतरी ज्योढ़ी से निकलकर सिंहासन पर आ बैठे। चार बांदियां मोरछल लेकर बगल में खुडी हुई । चोवदार ने पुकारा-जल्ले इलाही बरामद कर्द मुजरा अदव से !' यह सुनते ही एक उमराव सहमा हुआ अपने स्थान से आगे बढ़ा और सम्राट् के सामने जाकर उसने तीन बार मुककर सलाम किया। चोबदार ने उसके रुतवे और शान के अनुसार कुछ शब्द कहकर सम्राट् का ध्यान उधर आकर्षित किया। इसी प्रकार सभी सरदारो ने प्रणाम किया । इसके बाद बादशाह ने वजीर को संकेत किया । वजीर ने जवान से कहा- जवान ! तुम्हारे हालात बादशाह सलामत अगर्ने सुन चुके हैं, मगर तुम्हारी खास जवान से सुनना चाहते हैं । तमाम हालात मुफस्सिल में बयान करो। युवक ने जमीन में लोट-लोटकर सब मामला बयान किया। बादशाह ने फरमाया-सब हरूफ-बहरूफ सही है। कहां है वह जालिम जमीर ? जमीर तख्त के सामने आकर घुटनो के बल गिर गया। बादशाह ने फर्माया-जमीर ! तुझे कुछ कहना है ? 'खुदावन्द ! रहम ! रहम !' बादशाह ने हुक्म दिया-इम जालिम को सीधा खड़ा करो। मगर ठहरो