पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१००

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ले लेनी चाहिये थी, कहा कि लालाजी पर राज्यविद्रोही सभाओं का कानून नहीं लगता, अतः वे छोड़ दिये गये, किन्तु जेल के मुख्य द्वार के बाहर होते हो वे दूसरे अभियोग में पुनः पकड़ लिये गये। यथा समय उनपर दोष प्रमाणित किया गया और उन्हें दो वर्षको सजा दी गयी जिसे वे जेल में समय काट रहे है।

बनारस के अत्यन्त मम्मानित नागरिक, सयुक्त प्रान्तीय कमेटी के अध्यक्ष बाबू भगवानदास जो,युवराज के आगमन के दिन व्यापा- रियों से हड़ताल करने का अनुरोध करने के निमित्त एक पर्चा प्रकाशित करने तथा उसे बांटने के कारण 'क्रिमिनल ला एमण्ड- मेण्ट एक' के अनुसार गिरफ्तार किये गये और उन्हें कारावाम की सजा दी गयी। दोष प्रमाणित करने की प्रणाली इतनी बेबुनियाद थी कि समाचारपत्रों की लिखा.पढ़ी से, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के भूतपूर्व प्रधान न्यायपति डाकर सुब्रह्मण्यम् ऐय्यर भी सम्मिलित थे, विवश होकर सरकार को उनकी बकाया सजा रद्द करनी पड़ी।

श्री जवाहरलाल नेहरू को फिर १८ मास

किसी सार्वजनिक सभा में विदेशी कपड़ों की दूकानो पर पहरा देने की इच्छा प्रगट करने एवं उपस्थित लोगों से सहायता का अनुरोध करने के लिये श्रीजवाहरलाल नेहरू पर भारतीय दण्ड विधान को धारा २८५ और ५०५ के अनुसार दोषारोपण किया गया। उन पर दूसरा अभियोग जबर-