पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/९९

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दास पूरी सजा भोगकर जेल से छुट आये पर सरकार का विचार समान न हो सका।

लाला लाजपत रायका दण्ड, रिहाई,फिर दण्ड

३० बङ्गालके प्रसिद्ध हिन्दू नेताको जेल में सुरक्षित कर अब दमननीति को विजय पूरी करने के निमित्त मुसलमानों के भी किसी प्रसिद्ध नेता की आवश्यकता हुई। इसके लिये प्रधान खिलाफत कमेटी के उपसभापति,कांग्रस के उत्साही सदस्य,प्रतिष्ठित धार्मिक मुसलमान मौलाना अबुल कलाम आजाद उपयुक्त समझ गये। इसके बाद आप भा गिरफ्तार किये गये भारतीय दण्डविधान को धारा १२४ अ (राजविद्रोह) के अनुसार आप दोषो समझे गये और आपको भी कारावास का दण्ड दिया गया। आपके छूटने का समय अब निकट हो है।

लाला लाजपतरायजी पर जो कि पहले कांग्रेस के सभापति रह चके हैं, प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी की एक बैठक में सभापति बनने के कारण राजविद्रोहो सभाओं के कानून के अनुसार मुकदमा चलाया गया। सभाकी इस बैठक के सम्बन्ध में लालाजी और मजिस्टे टके बीच पहले ही कुछ लिखा पढ़ी हो चुकी थी और मजिस्टेट को यह अच्छी तरह मालूम था कि सभा की यह निजी बैठक थो, उसमें सर्वसाधारण नहीं जा सकते थे। फिर भी लालाजो दोषी समझे जाकर जेल भेज दिये गये। सरकार के कानूनी सदस्य ने,जिसकी सलाह मुकदमा चलाने के पहले ही