पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/११४

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पूरा करने के निमित्त जनता में काफी उत्साह उत्पन्न न किया जा सका।

महात्मा गान्धी ने यह हालत देखकर तुरन्त ही अपनी अथक शक्ति परिस्थिति का वास्तविक दिग्दर्शन कराने की ओर लगा दी, किन्तु जिसे हम महात्माजी की शक्ति कहते हैं वही सरकार की दृष्टि में उनकी कमजोरी थो। जनता को उत्तेजना बढ़ता हुआ प्रवाह जिस सीमानक पहुच चुका था, उसे महात्माजी के सद्दश केवल चेतावनी की उगली उठाकर वहां ही रोक देना अन्य किसी मनुष्य के लिये कदाचित मंभव न था।

महात्माजी की गिरफ्तारी और सजा

किन्तु जनता के हृदय पर महात्माजी के इस अपूर्व अधिकार का आशय उनके घटते हुए प्रभाव का द्योतक समझा गया और इसी अवसर पर भारतमाता का सबसे अधिक विख्यात पुत्र गिरफ्तार कर लिया गया ब्रिटिश राजपुरुषों की बुद्धि मारी गयी,और शासन कला का ऐमा अधःपात हुआ कि उसका अर्थ अपने पक्ष की दलील पेश करना एवं इङ्गलैण्ड के उन्नति- विरोधी लोगों तथा भारत के ब्रिटिश कर्मचारियों द्वारा उठायी गयी आवाज का आंख मीच कर अनु लरण करना ही रह गया। महात्माजी पर मुकदमा चलाया गया,वे दोषी समझे गये और बन्दीगृह में डाल दिये गये। थोड़े ही समय में समाप्त कर दिये गये उनके अभियोग के सम्बन्ध की घटनाओं की स्मृति