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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१२०

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उज्वल पंक्ति के सामने एक और व्याख्यान दिया जिन्हें आप उस परोपकारिता के उच्च भाव के चुने हुए साधन समझते है जो ब्रिटिश सरकार को संसार में अपना कर्तव्य पालन करने में सदा प्रवृत्त करती है। भाषण करते समय आपने कहा था---

“हमने प्रचलित सरकार के प्रति विश्वास और आशा का इतना अभाव इस देशमें पहले कभी नहीं देखा। मैं यह बात खूब विचार पूर्वक कहता हूं। लोगों की ओर श्रद्धा का ऐसा नितान्त अभाव आजसे पहले हमने कभी नहीं देखा।"

वायसराय द्वारा अपने विश्वासी सहायक के कथन की उपेक्षा

लार्ड रेडिङ्ग ने अपने इस विश्वासी मित्र और सहायक के द्वारा दो गयी उक्त कड़ी चेतावनी की ओर ध्यान न दिया। उनका आतिथ्य स्वीकार करते समय शास्त्री जी द्वारा उपरोक्त भाव प्रगट किये जानेके एक मास पश्चात् वाइसराय ने प्रतिनिधि मण्डल के रूप मे आये हुए व्यापारिक संस्थाओं के सदस्यों को यह विश्वास दिलाने की चेष्टा को कि "(वर्तमान) सरकार जो पहलेकी केन्द्रस्थ सरकारों की अपेक्षा अधिक अंश में भारत की प्रतिनिधि है, जनता में विश्वास और श्रद्धा उत्पन्न कर रही है।' श्रीमाण्टेगू के सामन प्रबल भारत-मन्त्री-भी भारत में स्वयं उपस्थित होकर और मौके पर ही जांच कर भारतीयों के वास्तविक भावों का अन्दाजा न लगा सके। इससे प्रगट होता है कि भारतीय प्रश्नों का वास्तविक अभिप्राय