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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१३३

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घर ही बैठे रहे। निर्वाचकों मे से कुल २४ फो सदी मनुष्यो ने मत दिया। मद्रास तथा बङ्गाल में कुछ अधिक लोगों ने तथा बम्बई और मध्यप्रान्त में कुछ कुछ लोगों ने मत दिया। सभी जगह मुसल -मानों में और भी कम लोगों ने मत दिया, क्योंकि उन लोगों के लिये असहयोग अब उनके धर्मका अंश हो गया है।"

पढ़ी लिखो जनता द्वारा सुधारों के वहिष्कार से चिढ़कर कर्नल महोदय लिखते हैं-

“निर्वावन हो गया, अयोग्य स्वार्थ-साधकों ने द्रव्य खर्च कर अपना निर्वाचन करा लिया और राष्ट्रीय दल के सभी बुद्धिमान तथा 'चुनिन्दा' लोग बाहर ही खड़े खड़े अपना क्रोध प्रगट कर रहे हैं। इस 'बुरी स्थिति' मे कोई भी समझदार सरकार समझौते की आशाले निर्वाचन स्थगित कर देती।"

अन्य समालोचक सुधारों की विफलता मानने को तैयार न थे और वे यह बात बढ़ाकर प्रगट करना चाहते थे कि व्यवस्थापक सभाओं के सदस्यो को संख्या पूरी हो गयी। उन्होंने भी यह स्वीकार किया है कि वहिष्कार के कारण योग्य सदस्यो का निर्वाचन न हुआ। नये सभासदों का सकेत करते हुए लन्दन के 'नेशन' पत्रने लिखा था-

"सम्भव है, उनमे अत्यन्त प्रतिष्ठित, धनाढ्य और पदवीयुक्त सजन शामिल हों, किन्तु सब बातों का विचार कर उनमें प्रायः ऐसे ही वयोवृद्ध और कायर मनुष्य है जिनमें दूसरों को प्रेरित करने की शक्ति नहीं, जो स्वयं किसी बात का प्रारम्भ नही कर