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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१३४

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सकते और जनता में जिनका पक्ष लेनेवाले थोड हो लोग हैं।"

स्कूलों और कालेजों पर प्रभाव

व्यवस्थापक सभाओं के वहिष्कार के प्रयत्न के साथ साथ महात्मा गांधी ने देश भर में घूम घूम कर वकीलों को अदालनों का और विद्यार्थीयों को सरकारी या सरकार से सहायता लेने वाले विद्यालयों का वहिष्कार करने का आदेश दिया। प्रथम आक्रमण अलोगढ़ कालेज पर हुआ-पहले मौलाना महम्मद अली, शौकत अली द्वारा फिर महात्माजी द्वारा। बङ्गाल में श्रीचित्तरञ्जन दाम ने यह कार्य अपने हाथ में लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि कलकत्त तथा मुफस्सिल में हजारों विद्यार्थीयों ने सरकारी स्कूल, कालेज छोड़ दिये। कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाइस चान्मलर की हैसियत से बोलते हुए सर आशुतोश मुखोपाध्याय ने बंगाल के विद्यार्थीयों मे असहयोग की सफलता स्वीकार की थी। इसी प्रकार के प्रयत्नों से पजाब तथा अन्य प्रान्तमे भी सफलता हुई। सर्व साधारण के चन्द से सारे देश में बहुत से राष्ट्रीय विद्यालय तथा महाविद्यालय स्थापित हो गये। इनमें ऐसे अध्यापकों ने काम करना आरम्म किया जिनमे देशभक्ति और स्वावलम्बन की प्रवृत्ति कूट कूट कर भरी हुई थी और जो आर्थिक कठिनाइयो को झेलते हुए भी प्रसन्नता पूर्वक अपना काम करते थे। सरकारी स्कूलों से जो लड़के निकल आये थे उनमें से कुछ तो राष्ट्रीय विद्यालयो तथा महाविद्यालयों में पढ़ने