लगे, कुछ राष्ट्रीय सभा के काममें लग गये, किन्तु अधिकांश विद्यार्थियों का, राष्ट्रीय विद्यालया की कमी के कारण पुन:अपने पुराने स्कूलों का लौट जाना पड़ा। स्कूलो तथा कालेजों के वहि -ष्कार से कांग्रस के कार्य कर्ताओं की श्रेणियों मे कार्यतत्पर लोगो का भी समावेश हो गया जिनके देश प्रेम और उत्साह से देश के कार्य में बड़ी सहायता मिली।
सरकारी स्कूलों से जो विद्याथीं निकल आये थे उनमें से बहुतेरे पुन:लौट गये इस घटना का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि स्कूलों का वहिष्कार असफल हुआ। इतना अवश्य स्वीकार करना पड़ेगा कि सरकारी स्कूलो तथा कालेजों से विद्या -र्थीयों का हटाने का प्रयत्न में बहुत कम सफलता हुई, किन्तु इसमे सन्दह नही कि ममन्त देश के अधिकांश छात्र-समुदाय ने असहयाग का असली मात्र ग्रहण कर लिया है। भिन्न भिन्न सार्व -जनिक कार्यों की और उनकी प्रवृत्तिले बारम्बार यह बात प्रमाणित हो चुकी है। असहयोगियों ने जिन बड़ी बड़ी सभाओं में व्याख्यान दिये हैं उनमें बहुसंख्यक विद्यार्थी उपस्थित रहे और उन्होंने धैर्य -पूर्वक तथा प्रसिद्ध नेता भी,जिनमे से कुछ अभी तक छात्र-समुदाय की श्रद्धा और सम्मान के पात्र रहे हैं,जिस समय व्याख्यान देने बड़े हुए उस समय उनकी प्रशंसा करने वाले इन्हीं छात्रो ने