भिन्न भिन्न सम्प्रदायोंके भेद हैं। भिन्न भिन्न सम्प्रदायोंकी
एकतासे यह कारण दूर हो जायगा और तब सिविल कमचारि-
योंको बनाये रखनेका कारण भी न रहेगा। यह बात समझ
नेके लिये बहुत ऊंचे दर्जे की प्रजा-शक्तिकी जरूरत नहीं है।
सिविल सर्विसवालोंकी धारणा ।
भारतीय सिविल सर्विस में ऐसे मनुष्य भी हैं जिनका विश्वास है कि भिन्न भिन्न जातियों,विशेषकर हिन्दू और मुसलमानों के बीच गहरी खाई पड़ी है और इन लोगोंमें ब्रिटिश
साम्राज्य के विनाश के अतिरिक्त अन्य किसी कार्यके लिये एकता
नहीं हो सकती। पञ्जाबमें सैनिक शासनके दिनोंमें यह बात
स्पष्ट हो गयी थी। भारतीय सिविल सर्विसके एक उत्तरदायी
कर्मचारीने अभियुक्तोंपर यह दोषारोपण किया था कि उन्होंने
कानून द्वारा स्थापित सरकारको विनष्ट करनेकी इच्छासे हिन्दू.
मुसलमानोंमें भ्रातृभाव उत्पन्न करने या उसे प्रोत्साहित करनेका
यत्न किया था। भ्रातृभाव बस यही था कि हिन्दू और मुस-
लमान दोनों एक हो गिलासमें पानी पीने लगे, ऐसा करना कट्टर
हिन्दुओं तथा कुछ मुसलमानोंमें भी वर्जित है। यह कोई प्रेम-
का प्याला तो था नहीं जो इन विशुद्ध जलपीनेवालोंके बीच
गुप्त स्नेह बन्धनको मजबूत करनेके लिये घुमाया जाता रहा हो।
ये लोग वार बार 'महात्मा गान्धीकी जय' या 'अल्लाहो अकबर'
चिल्लानेके कारण बीच बीचमें सिर्फ अपनी यास घुमानेके