कांग्रेस और बाद
कांग्रेसका अधिवेशन समाप्त हुआ। दूसरे ही दिन अखिल भारत वर्षीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक गयामें हुई । श्रीयुत देशबन्धुने कमेटोस स्तीफा दिया। पण्डित मोती. लालजी नेहरू, हकीम अजलम खां, बाबू भगवानं दास, बाबू श्रीप्रकाश तथा अन्यान्य नेताओंने भो सम्बन्ध तोड़ा । श्रीयुत दास के नेतृत्वमें इन लोगोंने अलग दल कायम किया और इसका नाम रखा “कांग्रेस खिलाफत स्वराज्य पार्टी। इनका लक्ष्य कांग्रेसके अन्दर रह कर भारतको स्वराज्यके लिये तैयार करना और स्वराज्य दिलाना है । अपने दलके लिये तैयारी करनेके हेतु श्रीयुत दासने अभी भिन्नभिन्न स्थानों में यात्रा की। काशीमें बाब भगवान दासके साथ स्वराज्यकी व्याख्या तैयार की। जिसपर विचार हो रहा है ।
इसी बीचमें मौलाना अबुल कलाम आजाद भी अपनी अवधि समाप्त करके छूट आथे । दोनों दलोंमें सुलह करानेके लिये वे बम्बई गये । इसके लिये उन्होंने सेठ छोटानीके साथ घोर प्रयत्न किया । बम्बईमें वर्षिङ्ग कमेटीकी गैठक हुई । सुलहनामेंका मसौदा तैयार किया गया । मौलाना साहब यह मौसादा लेकर इलाहाबाद पहुंचे । पंडित मोतीलाल नेहरू तथा हकीम अजमलखां साहबने इससे सम्मति प्रगट की । निदान इसपर