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सत्याग्रह आन्दोलन


माननेके लिये वाध्य हो जायं या उन कानूनों की अवज्ञा करके उसका फल भुगतनेके लिये तथा उसके कारण यातनायें सहने के लिये तैयार हो जाय। इस उदाहरणसे सत्याग्रहका अर्थ सविनय अवज्ञा या सविनय प्रतिरोध होता है। सविनय इस लिये कि यह हिंसाके भावसे रहित है।

इतना लिखनेके बाद सत्याग्रही और साधारण कानून तोड़नेवाले में जो भेद है उसे भी यहीं लिख देना आवश्यक होगा। साधारण कानून तोड़नेवाला चालबाजीसे या धोखा देकर कानून तोड़ता है और कानून तोड़नेके निमित्त जो दण्डकी धाराय बनी हैं उनसे सदा बचे रहनेकी चेष्टा करता रहता है, अर्थात् कानून तोड़ता है पर दण्डसे डरता है। पर सत्याग्रहीका आचरण इससे एक दम भिन्न होता है। सत्याग्रही राज्यके काननोंको डरके मारे नही मानता, उनको इसलिये नही मानता कि अन्यथा उससे बलपूर्वक स्वीकार कराये जायंगे बल्कि इसलिये कि वह उन्हें उस समाज की समृद्धि के लिये उपयोगी समझता है जिसमे वह रहता है। पर कभी कभी-बहुत कम-ऐसा भी अवसर आ जाता है कि वह किसी काननको इतना अनुचित समझता है कि उनको मानना वह नितान्त अनुचित और अपमान जनक समझता है। ऐसी अवस्था उपस्थित होने पर वह सत्याग्रह करता है और सविनय अवज्ञा द्वारा उन कानूनोको भंग करता है और शान्तिपूर्वक उनके तोड़नेके निमित्त दिये गये दण्डको भुगतता है। इतना ही नहीं।