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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१७९

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सत्याग्रह आंदोलन

हजारों नरनारियोंसे मेरी जान पहचान हो गई थी। श्रीमतो अनुसूया साराभाईके आग्रह करनेपर उनके साथ मैने अहमदा- बादको मिलोंके कुलियोंके साथ भी काम किया था। मिलोंके मजर उनकी उदार हृदयतापर मुग्ध थे और उनको देवताकी तरह मानते थे। उसी समय अहमदा- बादमें गोगा ( अफवाह ) फैला कि श्रीमती अनुसूया सागभाई भी गिरफ्तार कर लो गई। मिलके मजूर इस सम्वादसे बेतरह उत्तेजित हो गये। उनका क्रोध उबल आया। गिरगांवके मिल. के कुलियोंमें भी हम दोनोने काम किया था और संकटके दिनोंमें उनकी सहायता की थी। इससे ये भी उत्तजित हो गये। इन स्थानोंमें जो कुछ ज्यादतियां हुई उनका एकमात्र कारण मेरी गिरफ्तारी और श्रीमती अनुसूया मारामाईकी गिरफ्तारीका गोगा था।

इससे पहले भी मुझे भारतके कोनेकोनेमे जानेका और हर तरहके लोगोसे मिलनेका अवमर मिल चुका था। मेरे साथ लोगों. का बड़ी स्वतंत्रताके साथ मिलनाजुलना होता था। मेरा पक्का विश्वास हैं कि यह धारणा एकदम निर्मल है कि इन ज्यादतियों- के पीछे जनताको क्रान्तिकी प्रवृत्ति छिपी थी। ऐसी कोई बात नहीं था और न इसका कोई लक्षण ही था। उत्तेजित लोगोंने जो कुछ किया था उसे 'क्रान्ति' का रूप किसी भी प्रकार नहीं दिया जा सकता।