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सत्याग्रह आंदोलन


थोड़ी शिक्षा प्राप्त कर ली है और वायस्कोपों, थेटरोंमे जा जाकरइसी तरह के भ्रमपूर्ण सम्वाद इकट्ठे करते हैं और उन्हें फैलाते हैं। उनके हृदयोंमें इस तरहके क्रान्तिकारी भावोंका आना गन्दे उपन्यासों और स्वमान्य नेताओंके द्वारा भी होता है। मैं उनसे मिल चुका हूँ और उनको उस भ्रमपूर्ण मार्गसे हटानेकी भी चेष्टा कर चुका हूं। इस काम में मुझे सफलता भी मिली है। आज सैकड़ों आदमी हमें आपके सामने पेश कर सकते हैं जो किसी समय उसी दलके उत्साही मेम्बर थे और क्रान्तिकारी वायुका सेवन कर रहे थे। पर अब वे उससे एकदम अलग हो गये हैं।


उस समयमें मैने जो कुछ कहा था उसका यही अभिप्राय था जो कुछ मैंने अभी आपलोगोंके सामने बयान किया है। मैं कभी भी नही कहा था कि इस उपद्रवमे कालेजके छात्र या प्रोफेसर सम्मिलित हैं,मैने यह भी कभी नहीं कहा था कि ये लोग ऐसा आचरण नहीं कर सकते है। पर मैंने केवल यह कहा था कि जहांतक मुझे मालूम है इसमे किसी पढ़े लिख समझदारका हाथ नहीं है जो इन अनपढ़ जनताको उत्तेजित करता रहा हो ।


प्रश्न---क्या आपके कहनेका यह तात्पर्य है कि सभी उपद्रवी एक ही अभिप्रायको लेकर उठे थे और उन सबका एक ही लक्ष्य था ?


उत्तर---मेरा कभी भी यह मत नहीं है और न मैं ऐसा कही सकता हूं। इस तरहकी कोई बात कहनी अत्युक्ति होगी। पर