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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२०२

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सत्याग्रहकी मीमांसा


मेरे विचारसे इतना अवश्य संभव है कि प्रत्येक छोटे छोटे दल एक ही अभिप्राय और उद्देश्यसे काम करते थे।

प्रश्न—क्या यह आन्दोलन इस तरहसे यूरोपियनोंके विरुद्ध नहीं था ?

उत्तर—मैं यह नि:सङ्कोच कह सकता हूं कि यह उपद्रव सरकारके विरुद्ध था पर यूरोपियनोंके विरूद्ध था या नहीं, इसका निर्णय मैंने अभी तक नही किया है। पूरी तरहसे जांच करनेके बाद ही इस विषयमे मैं अपना स्थिर मत प्रगट कर सकता हूँ ।

प्रश्न—मैं नही जानता कि आप इस प्रश्नका उत्तर दे सकते हैं या नही पर मैं इस प्रश्नको पूछता हूं। क्या आप बतला सकते हैं कि सत्याग्रहके सिद्धान्तके अनुसार उन लोगोंको-जिन्होंने उपद्रव किया है-सिविल अदोलन द्वारा सजा मिलनी चाहिये कि नही?

उत्तर—इस प्रश्नका ठीक उत्तर देना जरा कठिन काम है, क्योंकि सजाका अभिप्राय बाहरी शक्तिद्वारा दबाव डालना है। पर मैं यह नहीं कहना चाहता कि सिविल अदोलन द्वारा दण्ड देना अनुचित है लेकिन मैं यह कह देना चाहता हूं कि इससे भी अच्छे तरीके मौजूद हैं। मै इतना जोर देकर कह सकता हूं कि सच्चा सत्याग्रही दण्डसे कभी भी विचलित नहीं होगा और न भागेगा। यदि उसने सत्याग्रह किया है तो वह हरतरहके दण्ड भोगनेके लिये तैयार रहेगा और इसके लिये वह सरकारका विरोध किसी भी अवस्था में नहीं करेगा ।