पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४
सत्याग्रह आंदोलन


लगाया गया है। मुझे इस बातकी प्रसन्नता है और मैं यह अभिमानके साथ कहता हूं कि नदियादकी जनताने फौजसे भरी गाड़ीको उलटनेमें किसी तरहका भाग नहीं लिया था बल्कि सरकारकी यथासाध्य सहायता की थी और अभियुक्तोंके गिरफ्तार करानेमें सरकारकी बड़ी मदद की थी। इस सहायताके लिये स्थानीय कलकृरने उनकी बड़ी प्रशसा को है और कृतज्ञता प्रकाश की है।

जस्टिस रकिनकी जिरह

प्रश्न-मिस्टर गांधी, मैं आपसे इस घटना सम्बन्धमें कुछ तारीकोंको जनाना चाहता हूँ ।

उत्तर-सत्याग्रह व्रतकी प्रतिज्ञा फरवरीके तीसरे सप्ताहमे ली गई थी। उस समय तक रौलट ऐक्ट न० २ स्वीकृत नहीं हुआ था।

प्रश्न- इस ऐक्टके स्वीकृत हानेके पहलेही देशमें इसके विरोध करनेके लिये तरह तरहके मंसूबे गठे जा रहे थे? एक तरीका यह भी बतलाया गया था कि सरकारी मालगुजारी देना बन्द करके इन कानूनोंका विरोध किया जाय ?

ऊत्तर--हां।

प्रश्न---मजिस्ट्रटकी निकाली आज्ञाओंको भङ्ग करनेकी भी व्यवस्था थी?

उत्तर-मैं इसका विरोधी था। मैंने घोषणा कर दी थी कि