पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२१०

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सत्याग्रहकी मीमांसा

उत्तर-कदापि नहीं। यदि मेरा यह इरादा होता तो मैं सीधे दिल्लोके लिये पुनः रवाना हो गया होता। तबतक मुझे अमृतसर तथा अन्य स्थानकी घटनाओंका कुछ भी पता नहीं था। जिस समय मैं गिरफतार कर के बम्बई लाया गया उसके दूसरे ही दिन अहमदाबादस बड़े ही जरूरी समाचार मेरे पास आये थे।

इसके बाद महात्माजीने बतलाया कि सविनय अवज्ञा क्यों स्थगित की गई और यह भी कहा कि यद्यपि मेरा विचार सविनय अवज्ञा पुनः प्रारम्भ करनेका था पर बम्बई सरकार द्वारा उसी समय लार्ड चेमस्फोर्डकी प्रार्थना पहुंची और मुझे उसके अनुसार पीछे हटना पड़ा। पर प्रचारका काम बराबर जारी रहा। दूसरी प्रतिज्ञा तैयार कराई गई जिसमे लोगोंको केवल सत्य और अहिंमा पर अधिक तत्पर रहनेके लिये कहा गया था।

प्रश्न- क्या यह बात सच नहीं है कि भारतके प्रायः प्रत्येक प्रान्तमे लोगोंने आपके सिद्धान्तका गलत मतलब लगाया और उमका दुरुपयोग कर अराजकताको अधिकाधिक फैलानेकी चेष्टा की?

उत्तर-मैं नहीं समझता कि आपकी बातें सर्वथा सत्य हैं ।

प्रश्न-मिस्टर गांधी, इस प्रश्न के लिये मुझे क्षमा कीजि- येगा। क्या आपकी आत्मा इस बातको नहीं स्वीकार करती

कि आपने न्यायप्रिय भारत प्रजाके हृदयोंमेंसे न्यायके प्रति जो