पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२३२

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सत्याग्रहकी व्यापकता


आघात न पहुचाकर हमलोग विजित राष्ट्रको ऐसी दशामे ले आवें जिससे वह दिवालिया न बनकर सुखसे अपना दिन काटे और संसारका काम चल सके। अमरीकाके स्वतन्त्र दलने जिस अन्तर्गष्ट्रीय मन्तव्यकी सूचना निकाली है उसे पढ़ कर यही धारणा होती है कि सूदूर पूर्वीय देश अब इस बातका समझने लगे हैं कि राष्ट्र संघका अन्तिम लक्ष्य अस्त्र शस्त्र की बाढ़ न हाकर अन्तर्राष्ट्रीय वहिप्कार होना चाहिये अर्थात् प्रत्येक गष्ट्रोंका परस्पर असहयोग। इतना कर लेने पर प्रेमके सिद्धान्तको स्वाकर कर लेनेमें कोई अधिक कठि- नाई नहीं रह जायगी। इस मतके चरितार्थ करनेके लिये जब तक किसी नई शक्तिकी योजना नहीं की जायगी तब नक पुराने मनके प्रतिपादक इसे अव्यवहारक, मन मोदक कहकर इसकी हंसी उड़ावेंगे। इतिहासके पढ़नेवालोंको विदित होगा कि जिस समय पहले पहल भाफ द्वारा गाड़ी चलानेकी चर्चा चली थी उस समय घोडासे गाड़ी चलानेवालों. ने व्यङ्गकी हसी हंसी थी पर जिस दिन उन्होंने यह देख लिया कि इसकी सहायतासे गाड़ी क्या, घोड़े भी एक स्थानसे दूसरे स्थानको ले जाये जा सकते हैं तब जाकर कहीं उनका विश्वास दृढ़ हुआ। यही बात उस इजीनियरके बारे- में भी कही जा रही थी जिसने विजलीका ईजाद किया। पर जब उसने ताम्बेंके तारोंपर विजलीकी प्रवाहको दौड़ाकर दिखा दिया तो संसार भौंचकसा होकर उसका मुह निहार-